Uttarakhand:उत्तराखंड प्रशासनिक हलकों में इन दिनों हलचल तेज है। राज्य के कई जिलों में आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के तबादलों की सुगबुगाहट जोरों पर है। इस बीच सबसे बड़ी बात यह है कि हरिद्वार जिले के जिलाधिकारी की कुर्सी वर्तमान में खाली हो गई है, जिससे इस बदलाव की प्रक्रिया को और भी बल मिल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार द्वारा जल्द ही एक बड़ा ट्रांसफर आदेश जारी किया जा सकता है, जिसमें कई जिलों के डीएम और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की अदला-बदली की संभावना है।
हरिद्वार के डीएम का पद खाली होने से सरकार के समक्ष प्राथमिकता बन चुकी है कि वहां स्थायी और अनुभवी अधिकारी की तैनाती शीघ्र की जाए। हरिद्वार एक संवेदनशील और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जिला है, जहां तीर्थ यात्रियों की बड़ी संख्या प्रतिदिन पहुंचती है। साथ ही आगामी सावन माह और अन्य धार्मिक आयोजनों को देखते हुए प्रशासनिक स्थिरता बेहद आवश्यक हो गई है।
सूत्रों की मानें तो देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, चमोली और पौड़ी जैसे अन्य जिलों में भी उच्च स्तरीय फेरबदल संभव हैं। इसके पीछे कारण यह भी बताया जा रहा है कि कई आईएएस अधिकारियों का कार्यकाल एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक हो चुका है, जो कि स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आता है।
कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के नाम चर्चा में
राज्य के प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि कुछ तेज-तर्रार और अनुभवी अधिकारी अब फील्ड पोस्टिंग में लाए जा सकते हैं, वहीं कुछ अधिकारियों को सचिवालय में नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं। विशेष रूप से हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल जैसे जिलों में शासन अनुभवी और भरोसेमंद अधिकारियों को तैनात करना चाहता है।
शासन स्तर पर हो रही मंत्रणा
मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव स्तर पर इस मसले पर मंथन जारी है। कार्मिक विभाग से भी जानकारी मंगाई जा चुकी है और संभावित नामों पर अंतिम निर्णय जल्द लिया जा सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 3 से 5 दिनों के भीतर तबादलों की सूची सार्वजनिक कर दी जाएगी।
सोनिका को मिल सकता है हरिद्वार डीएम का अतिरिक्त चार्ज?
सूत्रों के अनुसार, यह संभावना जताई जा रही है कि वर्तमान में कुंभ मेला अधिकारी के पद पर तैनात आईएएस सोनिका को हरिद्वार के जिलाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा जा सकता है। चूंकि कुंभ मेला आयोजन 2027 में प्रस्तावित है और इस समय मेला संबंधी सक्रिय कार्य सीमित हैं, ऐसे में प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह फैसला तर्कसंगत माना जा रहा है।
सोनिका पूर्व में देहरादून की जिलाधिकारी रह चुकी हैं और उन्हें तेज़तर्रार तथा अनुभवी आईएएस अधिकारियों में गिना जाता है। हरिद्वार जैसे संवेदनशील और धार्मिक महत्व वाले जिले में प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी सौंप सकती है, जिस पर भरोसा किया जा सके।
हालांकि अभी इस संबंध में शासन स्तर पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रशासनिक गलियारों में इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ लिया है कि हरिद्वार डीएम की कुर्सी सोनिका को सौंपी जा सकती है, ताकि कुंभ और जिले के प्रशासनिक कार्यों में बेहतर समन्वय बन सके।
प्रभाव:
इन तबादलों का असर राज्य की प्रशासनिक दिशा और गति पर पड़ेगा, खासकर हरिद्वार जैसे जिलों में जहां कुंभ जैसे आयोजन और कानून व्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दे प्रशासनिक कुशलता की मांग करते हैं।
