चार मंजिला का नक्शा पास, पांचवीं मंजिल पर लिंटर डल गया — प्राधिकरण की चुप्पी पर उठे सवाल
हरिद्वार, संवाददाता। मोहित शर्मा
हरिद्वार में एक बार फिर निर्माण संबंधी नियमों और शहरी नियोजन के मानकों की खुलेआम अवहेलना सामने आई है। शहर के एक प्रमुख क्षेत्र में एक भवन का नक्शा केवल चार मंजिलों के लिए स्वीकृत था, लेकिन भवन स्वामी ने पाँचवीं मंज़िल पर भी लिंटर डाल दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सारा निर्माण कार्य हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) की नाक के नीचे हो रहा है, और प्राधिकरण की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्राधिकरण की निष्क्रियता की वजह से ही नियमों की अनदेखी बढ़ रही है। न तो भवन को सील किया गया है, न ही कोई नोटिस जारी हुआ है। इससे शहरवासियों में आक्रोश और असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।
साइड बैक पूरी तरह कवर्ड: सुरक्षा मानकों की सीधी अनदेखी
निर्माण मानकों के तहत हर भवन को एक निश्चित मात्रा में साइड बैक छोड़ना होता है, ताकि आग, भूकंप या किसी अन्य आपात स्थिति में राहत व बचाव कार्य में सुविधा हो। लेकिन इस मामले में पूरा साइड बैक कवर्ड कर दिया गया है। बिल्डिंग प्लॉट की सीमाओं तक भर चुकी है और आसपास के घरों को प्रकाश और वेंटिलेशन की भी समस्या होने लगी है।
शहर के वरिष्ठ वास्तुविदों और शहरी नियोजन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के निर्माण न केवल गैरकानूनी हैं, बल्कि यह जानबूझकर खतरा पैदा करना है। एक विशेषज्ञ ने कहा,
“यदि ऐसी इमारतें समय रहते नहीं रोकी गईं, तो ये भविष्य में जान-माल के बड़े खतरे का कारण बन सकती हैं।”
हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण पर सवाल: पक्षपातपूर्ण रवैया या प्रशासनिक लापरवाही?
लोगों का कहना है कि यदि यही निर्माण किसी सामान्य नागरिक द्वारा किया गया होता, तो अब तक भारी जुर्माना, सीलिंग और प्राथमिकी दर्ज हो चुकी होती। लेकिन जब मामले में प्राधिकरण की सक्रियता नहीं दखती, तो नियमों की धज्जियां उड़ती हैं।
गायत्री विहार कॉलोनी में अवैध निर्माण और खुली छूट
गायत्री विहार कॉलोनी में करीब 4 से 5 होटल ऐसे हैं जिन पर हाईकोर्ट के आदेश के तहत प्राधिकरण ने पहले सील की कार्रवाई की थी। यह आदेश नैनीताल हाईकोर्ट में दायर पीआईएल के बाद आया था, जिसका निस्तारण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। बावजूद इसके, इन होटलों की सील प्राधिकरण द्वारा खोल दी गई है, जबकि इनके अवैध निर्माण का कोई निराकरण या डेमोलिशन नहीं किया गया। सील खोलने के कारण स्पष्ट नहीं हैं। यह मामला नक्षत्र पैलेस होटल के सामने स्थित है।
जनहित और शहरी अनुशासन की अवहेलना
हरिद्वार जैसे तीर्थ और पर्यटक नगरी में भवन निर्माण को लेकर विशेष सावधानी और संयम अपेक्षित है। यहाँ की गलियों और रिहायशी क्षेत्रों में अधिक मंजिला निर्माण से न केवल भीड़ और ट्रैफिक की समस्या बढ़ती है, बल्कि भवनों की गुणवत्ता और टिकाऊपन पर भी सवाल खड़े होते हैं।
इस प्रकार के निर्माण कार्य आसपास रहने वाले नागरिकों के लिए असुविधा और असुरक्षा का कारण बन रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने शिकायत की है कि अत्यधिक ऊंचाई के चलते उनके घरों में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच रहा, साथ ही वर्षा जल निकासी की समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो
इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि अगर निर्माण कार्य अवैध है, तो कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई? इस प्रकार की लापरवाही केवल भवन निर्माण का मामला नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
शहर के नागरिकों ने शासन से मांग की है कि ऐसे मामलों में बिना देरी के सख्त कार्रवाई की जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी व्यक्ति — चाहे वह किसी भी पद या प्रभाव से जुड़ा हो — कानून से ऊपर न हो।
