हरिद्वार को छोड़ शेष जिलों में नई पंचायतों के गठन तक अस्थायी प्रशासकों की नियुक्ति का निर्णय
देहरादून/राज्य ब्यूरो।उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) के कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात राज्य पंचायत अधिनियम, 2016 के अंतर्गत आगामी चुनावों तक के लिए अंतरिम प्रशासनिक व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था वर्ष 2019 में गठित पंचायतों के पांच वर्षीय कार्यकाल के पूर्ण होने के बाद लागू की गई है। शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार आगामी पंचायत चुनाव जुलाई 2025 में प्रस्तावित हैं, और तब तक ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का संचालन प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से किया जाएगा।
शासनादेश संख्या 305 / XII(1) / 2025 / 86(15)/2013 / ई-68985, दिनांक 09 जून 2025 को जारी इस आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के समस्त जनपदों (हरिद्वार को छोड़कर) में संबंधित जिलाधिकारी अथवा जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार सौंपा गया है कि वे नई पंचायतों के गठन तक आवश्यकतानुसार प्रशासकों की नियुक्ति करें।
तीन स्तरों पर नियुक्त होंगे प्रशासनिक प्रशासक
शासन ने स्पष्ट किया है कि पंचायतों के तीनों स्तरों – ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत – पर निम्नलिखित वर्गों के अधिकारियों को प्रशासक के रूप में नामित किया जाएगा:
जिला पंचायत: संबंधित जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट
क्षेत्र पंचायत: संबंधित उपजिलाधिकारी (SDM) अपने-अपने क्षेत्राधिकार में
ग्राम पंचायत: संबंधित विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी (पंचायत)
इस प्रकार, जब तक नई निर्वाचित पंचायतें अस्तित्व में नहीं आ जातीं, तब तक प्रशासनिक संचालन इन अधिकारियों के माध्यम से किया जाएगा। सरकार ने इस व्यवस्था को ‘अनिवार्य प्रशासनिक उपाय’ बताया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास एवं प्रशासनिक व्यवस्था बाधित न हो।
हरिद्वार को क्यों रखा गया बाहर
गौरतलब है कि इस आदेश से जनपद हरिद्वार को बाहर रखा गया है। शासन के अनुसार हरिद्वार में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल पूर्व में ही समाप्त हो चुका था और वहां पर विशेष परिस्थितियों में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पहले ही आरंभ हो चुकी है। हरिद्वार की स्थिति अलग होने के कारण वहां प्रशासनिक नियुक्तियां पहले से प्रभावी हैं और यह आदेश शेष प्रदेश के लिए लागू है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं एवं जनप्रभाव
राज्य के कई पंचायत प्रतिनिधियों ने इस आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद यदि समय पर चुनाव नहीं हो पाते हैं, तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था पूर्णतः वैधानिक और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है तथा किसी भी प्रकार की प्रशासनिक शून्यता से बचने के लिए आवश्यक है।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि यदि जुलाई 2025 तक चुनाव संपन्न नहीं हो पाए, तो प्रशासनिक विस्तार को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले भी प्रदेश में कुछ विशेष परिस्थितियों में पंचायतें प्रशासकों के भरोसे चलाई गई थीं
आगे की प्रक्रिया क्या होगी
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जुलाई 2025 में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। तब तक नियुक्त प्रशासनिक प्रशासक अपने-अपने स्तर पर पंचायतों का संचालन देखेंगे। शासन द्वारा सभी जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे ग्राम पंचायतों से संबंधित सभी विवरणों को एकत्र कर राज्य निर्वाचन आयोग को उपलब्ध कराएं ताकि समयबद्ध और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
