पिछले दिनों दशहरा और दिवाली के बीच गंगा बंदी के दौरान 22 करोड रुपए की लागत से बनाए गए घाटों की हालत तो पूरे शहर ने ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड में देख ली थी, और राजधानी में बैठे आला अधिकारियों से भी उत्तराखंड सिंचाई विभाग के करिंदों की यह कारगुजारी बच नहीं पाई थी, उस समय सोनिका जी भी इन घाटों को देखने के लिए मौके पर गई थी लेकिन उस समय सोनिका जी ने चुप्पी साध ली थी और उन्होंने अपनी तरफ से कोई बयान नहीं दिया था। राज्य सरकार ने भी इस प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया था। मामला केवल 22 करोड़ का था। अब 22 करोड रुपए में किसने कितना जाटा होगा कितना किसकी जेब में गया होगा यह कहना तो मुश्किल है। लेकिन फिलहाल हालात बता रहे थे ,के आधे से ज्यादा का खेल किया गया है। तभी यह घाट गंगा में प्रवाहित हो गए और जो दिखाई दे रहे हैं उनकी हालत सबने देखी थी ,
प्रेस से रूबरू हुई मेला अधिकारी सोनिका सिंह,कहा गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए समय से पूरे किये जायेंगे काम ,अधिकारी रहे सचेत।

पहली बार कल सीसीआर में प्रेस से मुखातिब हुई मेलाधिकारी सोनिका सिंह ने कहा है की कुंभ मेला के लिए स्थाई रूप से भी कार्य कराए जाएंगे, सड़के चौड़ी कराई जाएगी, व सारे कार्य गुणवत्ता से ही होंगे, साथ ही उन्होंने मेला अधिष्ठान के अधिकारियों को भी चेतावनी दे दी है, कि अब तक जो होना था सो हो लिया, लेकिन अब काम गंभीरता से और लगन के साथ कर लिया जाए ।
सोनिका सिंह की चेतावनी , दिखावा भर है, या इसमें कोई दम भी है, यह आने वाले दिनों में दिखाई दे जाएगा।
अगर सोनिका सिंह की इस चेतावनी में वास्तव में कुछ सच्चाई है, तो मेले में मलाई चाटने के लिए यहां पहुंचे अधिकारियों का क्या होगा, क्या वह मेला अधिकारी की विदाई के बारे में जुगाड़ लगाएंगे, क्योकी एक साहब तो अर्ध कुम्भ स्नान करने ही आये है।परिवार को भी करोड़ो की कमाई का भरोसा दे दिया है। लेकिन ऐसा लग रहा है की सोनिका सिंह अब वास्तव में मेले के लिए होने वाले कामों के लिए गंभीर दिखई देने वाली हैं।यदि सोनिका सिंह को अर्ध कुंभ 2027 कराने का मौका मिला तो वे हरिद्वार कुंभ मेलों के इतिहास में पहली मेलाधिकारी होंगी जो अर्ध कुम्भ मेला संपन्न करायेंगी।
