प्रशासन की त्वरित सक्रियता, पर मंदिर ट्रस्ट की व्यवस्थाएं सवालों के घेरे में
हरिद्वार रिपोर्ट: मोहित शर्मा
हरिद्वार, 27 जुलाई: श्रावण मास के अवसर पर हरिद्वार के ऐतिहासिक मंसा देवी मंदिर परिसर में रविवार को हुए एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में 7 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु और अनेक लोगों के घायल होने की खबर है। हादसे के बाद हरिद्वार जिला अस्पताल में मृतकों के शव लाए गए, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
भगदड़ का कारण स्पष्ट नहीं, जांच जारी
अब तक भगदड़ का स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। यह आशंका जताई जा रही है कि भीड़ के बीच अचानक हुई अफरा-तफरी से स्थिति बिगड़ी। घटनास्थल पर मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बिजली का हाई वोल्टेज तार गिर गया जिस कारण बगदाद जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
प्रशासन ने तत्परता दिखाई, वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे
घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे, एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. सिंह मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने तत्काल राहत एवं बचाव कार्य शुरू कराया और घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा दिलाने के निर्देश दिए। विधायक मदन कौशिक, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी घायलों से मुलाकात की और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया।
मंदिर ट्रस्ट की व्यवस्था पर उठे सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर मंसा देवी मंदिर ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालुओं का आरोप है कि मंदिर में रोज़ाना लाखों रुपये का चढ़ावा आता है, लेकिन उसके बावजूद भीड़ प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, पीने के पानी और मार्ग निर्देशन जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं नदारद हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट को चाहिए था कि श्रावण मास जैसे भारी भीड़ वाले अवसर पर अतिरिक्त वालंटियर, CCTV निगरानी, बैरिकेडिंग, आपातकालीन गेट, और चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करे।
सुरक्षा के लिए स्थायी व्यवस्था जरूरी
मंसा देवी मंदिर पहाड़ी पर स्थित एक अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। भीड़ नियंत्रण एवं सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन मिलकर दीर्घकालिक योजना तैयार करें, जिसमें भीड़ नियंत्रक उपकरण, मार्ग व्यवस्था, आपातकालीन निकास और प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी शामिल हों।
यह समय किसी पर दोष मढ़ने का नहीं, बल्कि यह समझने का है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है – चाहे वह मंदिर ट्रस्ट हो, स्थानीय प्रशासन हो या स्वयं समाजसेवी संस्थाएं। यह हादसा एक चेतावनी है कि व्यवस्था को और मजबूत और संवेदनशील बनाया जाए।
(यह रिपोर्ट प्रत्यक्षदर्शियों, अस्पताल सूत्रों और प्रशासनिक सूचनाओं पर आधारित है। सरकारी आंकड़ों के जारी होने के पश्चात मृतकों व घायलों की संख्या में बदलाव संभव है।)
