ब्यूरो :मोहित शर्मा
Haridwar:गैण्डीखाता क्षेत्र में तेल माफिया की सक्रियता और सरकारी तेल की चोरी का मामला गंभीर है। पूर्व में भी चिड़ियापुर के पास निर्माणाधीन अंडर बायपास क्षेत्र में लंबे समय से अवैध तेल चोरी की गतिविधियां चल रही थी। पूर्व जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह के निर्देश पर उप जिलाधिकारी मनीष सिंह और पूर्ति विभाग के अधिकारी रवि सनवाल ने कार्रवाई की थी, जिसमें भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के टैंकरों से तेल चोरी करते हुए दो व्यक्तियों, कलम सिंह रावत और कमल सिंह, को पकड़ा गया था। इस दौरान दो टैंकर, छह मोटरसाइकिलें, तेल चोरी के उपकरण और तेल के ड्रम बरामद किए गए थे, जबकि आठ अन्य लोग फरार हो गए थे।हालांकि, आपकी जानकारी के अनुसार, तेल माफिया फिर से सक्रिय हो गए हैं और अब पहले से बड़ी टीम के साथ चोरी कर रहे हैं। सूत्रों के हवाले से यह दावा कि क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत और कुछ प्रभावशाली लोगों का समर्थन इस गतिविधि को बढ़ावा दे रहा है। तेल माफिया का यह कहना कि वे “समय पर मिठाई पहुंचा देते हैं” (जो संभवतः रिश्वत का संकेत है) और पांच से सात मोटरसाइकिल सवारों के साथ-साथ तीन चौपहिया वाहनों (अमेज़ कार, मारुति ओमनी वैन, और स्विफ्ट डिज़ायर) का उपयोग, इस अवैध कारोबार के संगठित स्वरूप को दर्शाता है।
विश्लेषण और तथ्य:पिछली कार्रवाई
अक्टूबर 2024 में चिड़ियापुर में बीपीसीएल के टैंकरों से तेल चोरी का मामला पकड़ा गया था। इस कार्यवाही में 25 लीटर पेट्रोल चोरी होने की पुष्टि हुई थी, और दो टैंकरों में 7,000 लीटर डीजल और 18,000 लीटर पेट्रोल जब्त किया गया था। यह कार्यवाही इस बात को दर्शाता है कि प्रशासन ने पहले प्रभावी कदम उठाए थे, लेकिन माफिया की पुनः सक्रियता यह संकेत देती है कि मुख्य सरगना को पकड़ने में कमी रही।
सद्दाम गैंग का उल्लेख
कुछ स्रोतों के अनुसार, इस क्षेत्र में तेल चोरी में “सद्दाम गैंग” शामिल है, जिसका सरगना सद्दाम बताया गया है। वह कार्यवाही के दौरान फरार हो गया था। यह गैंग न केवल तेल चोरी, बल्कि अवैध लकड़ी कटाई और रेत-बजरी के कारोबार में भी संलिप्त है।
प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप
सूत्रों के हवाले से क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारियों की शह पर यह धंधा चल रहा है, जो कि एक गंभीर आरोप है। पूर्व में भी तेल चोरी के मामलों में तेल कंपनियों के कर्मचारियों और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत मिले हैं। उदाहरण के लिए, 2018 में मेरठ में इंडियन ऑयल कंपनी के कर्मचारियों की मदद से तेल माफिया ने चोरी की थी, जिसमें 16 लोग गिरफ्तार हुए थे।
संगठित नेटवर्क
मोटरसाइकिलों और चौपहिया वाहनों का उपयोग यह दर्शाता है कि यह एक सुनियोजित और संगठित अपराध है। जीपीएस में हेरफेर और डुप्लीकेट चाबियों का उपयोग, जैसा कि दिल्ली में 2025 के एक मामले में सामने आया, इस तरह के अपराधों में आम है।
स्वतंत्र जांच की मांग
प्रशासनिक मिलीभगत के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी, जैसे उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ या सीबीआई, को शामिल किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि बड़े सरगनाओं तक पहुंचा जाए।
निगरानी बढ़ाएं
चिड़ियापुर और गैण्डीखाता जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत करना चाहिए। टैंकरों में रियल-टाइम मॉनिटरिंग और लॉक सिस्टम में सुधार जरूरी है।
कानूनी कार्रवाई
चोरी के मामलों में कठोर सजा और तेल माफिया की संपत्ति जब्त करने की नीति अपनानी चाहिए, जैसा कि कौशाम्बी में 2021 में किया गया था।
तेल माफियाओं की पुनः सक्रियता और प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप गंभीर हैं। पूर्व में की गई कार्रवाइयों के बावजूद, सरगना के फरार होने और छोटे स्तर के लोगों की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट है कि इस समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
