संवाददाता मोहित शर्मा:रिद्वार।ग्राम समाज और सरकारी जमीनों पर लगातार हो रहे अवैध कब्जों को लेकर प्रशासन ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। हरिद्वार के तहसीलदार श्री सचिन कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सरकारी, गैर-सरकारी एवं ग्राम समाज की भूमि पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसी किसी भी तरह की शिकायतें संज्ञान में आती हैं तो संबंधित के खिलाफ त्वरित एवं कठोर कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय स्तर पर लापरवाही बनी बड़ी समस्या
तहसीलदार की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ग्रामीण क्षेत्रों से बार-बार ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं कि गांवों में ग्राम समाज की भूमि, चारागाह, सरकारी तालाब, और सार्वजनिक रास्तों पर अवैध कब्जे तेजी से बढ़ रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय लेखपाल और कई ग्राम प्रधान इन मामलों में या तो लापरवाह बने रहते हैं या जानबूझकर चुप्पी साधे रहते हैं। परिणामस्वरूप जब स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं होती, तो ग्रामीणों को उच्च अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ती है।
लेखपाल और प्रधान की जवाबदेही तय होनी चाहिए
तहसीलदार का यह भी कहना है कि ग्राम प्रधानों और क्षेत्रीय लेखपालों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने-अपने क्षेत्र की सरकारी और ग्राम समाज की भूमि को कब्जा मुक्त रखें और किसी भी अतिक्रमण की स्थिति में तत्काल प्रभाव से सूचना देकर कार्रवाई सुनिश्चित कराएं।
लेकिन हालात इसके उलट हैं – अवैध कब्जों की शिकायतें तब दर्ज होती हैं जब अतिक्रमणकारी अपनी जड़ें जमा चुके होते हैं और ग्रामीणों के बीच तनाव पैदा हो चुका होता है।
मनरेगा के माध्यम से सौंदर्यीकरण की अनदेखी
तहसीलदार ने यह भी स्पष्ट किया कि मनरेगा जैसी योजनाएं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संरचनाओं के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए चलाई जा रही हैं, उनका उचित लाभ नहीं उठाया जा रहा है।
तालाबों का जीर्णोद्धार, सार्वजनिक रास्तों का विकास, और चारागाहों को संरक्षित करना ग्राम प्रधानों की प्राथमिक जिम्मेदारी है, परंतु ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
गांवों में बिगड़ती स्थिति को रोकना जरूरी
ग्रामीण विकास की दिशा में यह बेहद चिंताजनक है कि सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जे आम होते जा रहे हैं। जहां सरकारी भूमि जनता के उपयोग के लिए होती है, वहीं निजी स्वार्थों के चलते उसका दुरुपयोग किया जाना, ग्राम विकास में बड़ी बाधा बनता जा रहा है।
साथ ही इससे कानून व्यवस्था और सामाजिक शांति पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
प्रशासन की अपील: सक्रिय बनें ग्रामीण, न दें अतिक्रमण को बढ़ावा
प्रशासन ने गांववासियों से भी आह्वान किया है कि वे अवैध कब्जों की सूचना समय रहते दें और सरकारी योजनाओं में सक्रिय भागीदारी निभाएं। साथ ही ग्राम प्रधानों व लेखपालों की निष्क्रियता के मामलों में जिला प्रशासन को सीधे अवगत कराएं ताकि कार्रवाई हो सके।
निष्कर्ष: सख्ती के साथ ज़रूरत है सतर्कता की
तहसीलदार सचिन कुमार का यह बयान ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह ज़रूरी है कि जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें और आम जनता भी जागरूक बनकर गांव की संपत्तियों की रक्षा में अपना योगदान दे।
अब देखना यह है कि प्रशासन की यह सख्ती जमीनी स्तर पर कितनी असरदार साबित होती है, और कब तक ग्राम समाज की भूमि अतिक्रमणमुक्त और सुरक्षित बन पाती है।
