आतंकी कनेक्शन में जम्मू-कश्मीर यूटी प्रशासन ने कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी समेत तीन लोगों को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त होने वालों में जनसंपर्क अधिकारी फहीम असलम, राजस्व विभाग के अधिकारी मुरावाथ हुसैन मीर और पुलिस में सिपाही अर्शिद अहमद ठोकर शामिल हैं। तीनों पर पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के लिए काम करने, आतंकियों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने, फंड एकत्रित करने के साथ अलगाववादी एजेंडे को प्रसारित करने जैसे गंभीर आरोप हैं।सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त सचिव की ओर से तीन अलग-अलग आदेशों में कहा गया है कि उप राज्यपाल मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद संतुष्ट हैं और उपलब्ध जानकारी के आधार पर तीनों कर्मचारियों की गतिविधियां ऐसी हैं कि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए, इसलिए उप राज्यपाल तीनों को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करते हैं। असलम कट्टर अलगाववादी, सोशल मीडिया पर फैलाता है।
भारत के प्रति नफरत : यूटी प्रशासन की जांच में यह साबित हुआ कि तीनों कर्मचारी पाकिस्तान की आईएसआई और आतंकवादी संगठनों के लिए काम कर रहे थे। असलम कट्टर अलगाववादी है और कश्मीर घाटी में आतंकवादियों और आतंकी संगठनों के लिए एक प्रमुख प्रचारक रहा है। उसकी कई सोशल मीडिया पोस्ट देश के प्रति उसकी नफरत को दर्शाती हैं।
फहीम असलम : वेतन वतन का और सरपरस्ती पाकिस्तान की
कश्मीर यूनिवर्सिटी के पीआरओ समेत बर्खास्त तीनों कर्मचारी अलग-अलग भूमिका में आतंकियों की मदद कर रहे थे। कोई प्रचार के माध्यम से तो कोई फंड और नाकों से निकालने की सहायता के रूप में। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम फहीम का है। फहीम कट्टर आतंकी शब्बीर शाह का करीबी है। वह कश्मीर घाटी में आतंकियों तथा आतंकी संगठनों के प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहा था। फहीम को कश्मीर विश्वविद्यालय में अगस्त 2008 में संविदाकर्मी के रूप में एक प्रमुख आतंकी व अलगाववादी ने नौकरी दिलवाई थी।फहीम की नियुक्ति बिना किसी विज्ञापन, साक्षात्कार तथा पुलिस सत्यापन के हुई है। उसे मीडिया रिपोर्टर बनाया गया ताकि कैंपस में अलगाववादी तथा आतंकी विचारधारा का पोषण किया जा सके। इसलिए विश्वविद्यालय में अलगाववादी गतिविधियां चलती रहीं। एक स्थानीय अंग्रेजी अखबार तथा सोशल मीडिया के पोस्ट साफ तौर पर इशारा करते हैं कि उसकी निष्ठा पाकिस्तान के साथ है। अनुच्छेद 370 के बाद उसने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट अपलोड कीं जिनमें जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के साथ विलय की बात थी। बाद में इनमें से कई पोस्ट हटा ली गईं। इन सभी पोस्ट का बयौरा जांच के दौरान फिर से निकाल लिया गया है।
अर्शिद अहमद ठोकर - वर्दी पर भारत को दगा देने के दाग
अर्शिद 2006 में पुलिस में सिपाही भर्ती हुआ। 2009 में एक्जीक्यूटिव पुलिस में आया। लेथपोरा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण के बाद उसने किसी प्रकार अपना तबादला श्रीनगर करवा लिया। अधिकतर समय वह विभिन्न पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पीएसओ व ड्राइवर के रूप में जुड़ा रहा। वह जैश ए मोहम्मद के हार्डकोर ओवर ग्राउंड वर्कर मुश्ताक अहमद गनेई (बडगाम) के संपर्क में आया। मुश्ताक ने अर्शिद की मुलाकात जैश नेटवर्क से कराई और इस प्रकार वह बडगाम व पुलवामा में आतंकियों की मदद करने लगावर्दी की पहचान दिखा वह आतंकियों की नाकों से निकलने में मदद करता रहा। आतंकियों के लिए फंड उपलब्ध कराने के साथ ही वह नशे के व्यापार से अवैध कमाई करता रहा। 31 मई 2020 को आतंकियों की मौजूदगी की विशेष सूचना पर नाके के दौरान उसे पांच अन्य मददगारों के साथ गिरफ्तार किया गया। इन लोगों के पास से एक चीन निर्मित पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड, एक किलो हेरोइन तथा 1.55 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। वह जैश आतंकियों को लाने व ले जाने के लिए गाड़ियों का भी प्रबंध करता था। 24 जून 2022 को गिरफ्तार यूनिस मंजुर वाजा व महबूब अहमद शेख ने इसका खुलासा किया था। जांच में यह पाया गया कि पुलिस वर्दी में वह जैश का प्रभावी ओजीडब्ल्यू है।
मुरावाथ हुसैन मीर – नौकरी राजस्व विभाग में और हिसाब-किताब आतंक का
मुरावाथ 1985 में राजस्व विभाग में बतौर जूनियर असिस्टेंट नियुक्त हुआ। 1990 में वह हिजबुल मुजाहिदीन तथा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के साथ जुड़ा। वह पांपोर तहसील कार्यालय में राजस्व संबंधी मामलों में हस्तक्षेप की खुली छूट देता रहा। वह आतंकियों के लिए कर्मचारियों से महीना वसूली का वाहक था। 1990 के शुरूआत में आतंकी विभिन्न सरकारी कर्मचारियों से वेतन मिलने वाले दिन वसूली करते रहे हैं। वह आतंकियों को हथियार पहुंचाने में मदद भी करता था। अक्तूबर 1995 में उसे राजबाग में हिजबुल तथा जेकेएलएफ के चार आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया गया था।
श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान।
जांच में पता चला कि वह शहर में सुरक्षा बलों के ठिकाने को उड़ाने की साजिश कर रहे थे। बाद में उसकी निशानदेही पर विस्फोटक भी बरामद किया गया। आठ महीने तक जेल में बंद रहने के बाद वह छूट गया और दोबारा सरकारी सिस्टम में घुस गया। वह यूनाइटेड जेहाद कौंसिल तथा उसके छद्म संगठनों के आशीर्वाद से अपने बेटे हरीश मुरावाथ को पाकिस्तान में एमबीबीएस में दाखिला दिलाने में सफल रहा। 2007 में उसने पांपोर में फलाह ए बहबूद कमेटी का गठन किया जिसका अब तक वह संस्थापक अध्यक्ष है। इस कमेटी ने 2008, 2010 व 2016 की हिंसा में अहम भूमिका निभाई।
महबूबा बोलीं-एलजी प्रशासन जम्मू-कश्मीर में विघटन की स्थायी स्थिति को संस्थागत बना रहा
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने घटनाक्रम पर कहा कि एलजी प्रशासन प्रदेश में विघटन की स्थायी स्थिति को संस्थागत बना रहा है। ऐसे समय में जब राज्य बेरोजगारी से जूझ रहा है, आतंकवादी संबंधों के बेतुके कारणों पर आजीविका का अपराधीकरण केवल विश्वास की कमी को गहरा कर रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 311 (2) बी का दुरुपयोग करके किया जा रहा है।
