रिपोर्टर मोहित शर्मा
हरिद्वार, उत्तराखंड – बढ़ते तापमान के चलते उत्तराखंड के तीर्थ नगरी हरिद्वार में गर्मी से बचने के लिए लोग गंगा नदी के ठंडे पानी में शरण लेने लगे हैं। यहां के लोग गर्मियों के प्रकोप से राहत पाने के लिए दिन भर नदी में डुबकी लगाकर अपने शरीर और मन को ठंडक पहुंचा रहे हैं। गंगा के पवित्र और ठंडे जल को गर्मी से बचने का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु, स्थानीय निवासी और पर्यटक जल के संपर्क में आकर तृप्ति पाते हैं।
गर्म मौसम में नदी का पानी न केवल शीतलता प्रदान करता है, बल्कि लोगों की थकान भी दूर करता है। इस गर्मी के मौसम में प्रेम नगर घाट से लेकर हरिद्वार के अन्य घाटों तक नदी में डुबकी लगाने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। लोग सुबह से लेकर शाम तक नदी के किनारे ठहर कर स्नान करते हुए गर्मी की गर्माहट को भूलने की कोशिश कर रहे हैं। नदी के किनारे बसे छोटे-छोटे बच्चे, बूढ़े और युवा सभी इस ठंडे जल में खुद को तृप्त महसूस कर रहे हैं।
लेकिन खतरे भी बढ़ रहे
हालांकि नदी में स्नान करना स्वास्थ्य और तृप्ति के लिए लाभकारी है, लेकिन इस बीच प्रशासन की ओर से बार-बार चेतावनी के बावजूद नाबालिग बच्चों द्वारा गंगा में पुल के ऊपर से छलांग लगाने जैसी खतरनाक हरकतों में वृद्धि ने चिंता बढ़ा दी है। इन बच्चे और युवा अपने मनोरंजन के लिए जान को खतरे में डाल रहे हैं। पुल से छलांग लगाना अत्यंत खतरनाक है, क्योंकि नदी में तेज धाराएं, अनियमित गहराई और पानी के अंदर छुपे खतरनाक पत्थर हादसे का कारण बन सकते हैं।
हर दिन गंगा नदी में ऐसी दुर्घटनाओं की खबरें सामने आती हैं, लेकिन बच्चे और किशोर पुलिस और प्रशासन की सख्ती से नहीं डर रहे। उनके लिए नदी में छलांग लगाना सिर्फ एक मज़ा और सुकून का जरिया बन चुका है। स्थानीय लोग भी इस खतरनाक प्रवृत्ति को लेकर बेहद चिंतित हैं, क्योंकि किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
प्रशासन की सख्ती और जागरूकता अभियान
उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन ने इस विषय में कई बार सख्त कार्रवाई की है। पुलों और घाटों पर निगरानी बढ़ाई गई है और चेतावनी के लिए होर्डिंग्स लगाई जा रही हैं। साथ ही स्कूलों और मोहल्लों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों और युवाओं को नदी के खतरों के बारे में समझाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
फिर भी, युवाओं की इस नादानी और लापरवाही पर लगाम लगाना एक चुनौती बना हुआ है। पुलिस ने कहा है कि नदी में खतरनाक छलांग लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन युवा इसका विरोध कर रहे हैं और अपने मनोरंजन से बाज नहीं आ रहे।
स्थानीय लोगों की आपबीती
स्थानीय निवासी रमेश शर्मा बताते हैं, “गर्मी में गंगा में स्नान करना हमारी परंपरा का हिस्सा है। लेकिन जब बच्चे पुल से छलांग लगाते हैं तो हम भी डर जाते हैं। कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानते। हमें डर है कि कोई बड़ा हादसा न हो जाए।”
एक महिला, सुमित्रा देवी, कहती हैं, “गंगा माता की पवित्रता में सभी को श्रद्धा रखनी चाहिए। नदी में छलांग लगाना अनुचित और खतरनाक है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस पर और सख्ती करे।”
गंगा की सुरक्षा और सतर्कता जरूरी
गंगा नदी उत्तराखंड की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पहचान है। यह न केवल तीर्थयात्रियों के लिए, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी जीवनदायिनी है। गर्मियों में गंगा के जल में डुबकी लगाना एक पारंपरिक और आवश्यक क्रिया है, लेकिन साथ ही सुरक्षा को सर्वोपरि रखना जरूरी है।
प्रशासन, स्थानीय समाज और परिवारों को मिलकर इस मुद्दे पर काम करना होगा ताकि नाबालिगों और युवाओं को नदी के खतरों के प्रति जागरूक किया जा सके। इसके लिए सख्त कानून, प्रभावी निगरानी और निरंतर जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। केवल चेतावनी देना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि युवाओं को सही दिशा देने और उनके मनोरंजन के लिए सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराने होंगे
